bihar ki gramin saksharta dar kitni hai

बिहार में साक्षरता दर क्या है ? Bihar Ki Saksharta Dar ? बिहार राज्य की साक्षरता दर क्या है ?

बिहार की साक्षरता दर

हेलो नमस्कार दोस्तों आज हम जानेंगे कि बिहार की साक्षरता दर क्या है ।तो चलिए सबसे पहले हम यह जानते हैं कि साक्षरता दर क्या होता है। साक्षरता दर का मतलब यह दर्शाता है कि हर सौ लोगों में कितने लोग साक्षर हैं।भारत की साक्षरता दर 2011 में 73% थी जो 10 सालों में 5% बढी़ है । 2022 में साक्षरता दर 77.7% दर्ज की गई है। और अब हम जानेंगे कि बिहार की साक्षरता दर कितनी है। दोस्तों हमारे प्यारे बिहार की साक्षरता दर जो है वह 61.8% है बिहार के बाद अरुणाचल प्रदेश 65.3% तथा राजस्थान की साक्षरता दर 66.1% नंबर आता है।

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बिहार साक्षरता दर (literacy rate of bihar) :-बिहार में पुरुषों की साक्षरता दर महिलाओं से अधिक हैं। बिहार में जहां 79.7% पुरुष साक्षर हैं, वहीं 60 फ़ीसदी महिलाएं पढ़ी लिखी है पटना /नई दिल्ली:-बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने हाल ही में बताया है कि सरकार लगातार स्कूलों में छात्रों को लेकर कई जरूरी कदम उठा रही है इस वेज साक्षरता दर के मामले में बिहार की स्थिति क्या है  ।NSO की ताजा रिपोर्ट में सामने आ गया। भारत के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय(NSO) की रिपोर्ट मैं बिहार कम साक्षरता दर वाले राज्यों में तीसरे स्थान पर है ,70.9 यदि समग्र साक्षरता दर के साथ बिहार राष्ट्रीय औसत 77.7 फ़ीसदी से 6.8 फ़ीसदी कम है, आंध्र प्रदेश 66.4 फ़ीसदी साक्षरता दर के साथ सबसे निचले पायदान पर है साक्षरता दर में राजस्थान का नंबर है जहां 69.7 फ़ीसदी साक्षरता दर है। दोस्तों अब हम जानेंगे कि बिहार के कौन-कौन से इलाकों में कितने प्रतिशत साक्षरता दर हैं। बिहार के ग्रामीण इलाकों में पुरुष और महिला 57.1 और 29.6 है। कुल शहरी साक्षरता दर71.9 है।

रोहतास जिला साक्षरता दर में सबसे आगे हैं जिसका literacy rate (73.37%) है उसके बाद दूसरे नंबर पर पटना है जिसकी साक्षरता दर (70.68 )प्रतिशत है उसके बाद तीसरे नंबर पर भोजपुर जिला है जिसकी साक्षरता दर (70.47) प्रतिशत है, आप जानते हैं कि कौन-कौन से जिलों में साक्षरता दर सबसे कम है। सीतामढ़ी कि साक्षरता दर (51.08%) इसके बाद पूर्णिया (51.8% ) और कटिहार (52.24%) है। प्रथम के एक हालिया संरक्षण में शिक्षक के प्रति, बिहारी बच्चों की ग्रहणसिलता को अन्य‌ राज्यों की तुलना में बेहतर बताया गया है, 53.3% है आजादी के समय बिहार में महिलाओं की साक्षरता दर 4.22% थी। 

1951 से 2011 की साक्षरता दर:-र्ष ‌ कुल पुरुषों महिलाओं :-1951 =13.45 -22. 68 = 4.22

1961 =21.98 -35. 85 = ‌ 8.11

1971 =22.86 -35.86 = 9.86

1981 =31.86 -47.11 = 16.61

1991 =36. 68 -51.37 = ‌‌ 21.99

2001 =46.94 -60.32 = 33.57

2011 =61.35 -72.30 = 51.50

बिहार में भारी भरकम बजट फिर भी साक्षरता दर इतनी कम क्यों है? बिहार राजस्थान और अरुणाचल प्रदेश भारत में सबसे कम साक्षरता दर वाले राज्य हैं, बिहार सबसे पीछे हैं आखिर कई कोशिशों के बाद भी क्यों है बिहार का यह हाल?

हमारे बिहारी के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सबसे ज्यादा फोकस focus, शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर ही है, इसके बावजूद भी राज्य में अभी साक्षरता दर काफी कम है। वित्तीय वर्ष 2023 -24 के बजट budget में शिक्षा पर सर्वाधिक 40,450 करोड़ की भारी-भरकम राशि का प्रावधान किया गया है। 2022-23 मैं यह राशि 39191 करोड़ थी। बिहार के अलावा छत्तीसगढ़ ही ऐसा राज्य, जिसने शिक्षा के मद में बजट का सबसे अधिक हिस्सा आवंटित किया है। इन दोनों राज्यों का प्रदर्शन अच्छा नहीं है।

साक्षरता दर यह पता चलता है कि प्रत्येक 100 लोगों में कितने लोग साक्षर हैं, कितने लोग पढ़ना जानते हैं। विद्यालय में बुनियादी जरूरतों का अभाव, प्रशिक्षित व योग्य शिक्षकों की कमी, बीच में स्कूल छोड़ देना, आर्थिक असमानता, शिक्षा के प्रति भेदभाव व शिक्षा के प्रति जागरूक नहीं होना इसके कम होने के प्रमुख कारण है। साक्षरता दर यानी कि ( litercay rate) में कई समस्याओं से जूझता बिहार:-हालांकि साक्षर होने के लिए किसी प्रकार कि औपचारिक शिक्षा जरूरी नहीं मानी जाती हैं। राज्य में साक्षरता दर के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। गांव की महिलाओं एवं बुजुर्ग साक्षर हुए हैं तथा अंगूठा लगाने की वजाय हस्ताक्षर करना सीख गए हैं।

बिहार की साक्षरता दर को बढ़ाने के लिए क्या किया जा सकता है:-बड़े बुजुर्ग जो भी हैं वह छोटे बच्चों को शिक्षित करें।अनपढ़ लोगों की शादी करो कि पहले उन्हें शिक्षित करें फिर उनकी शादी करें। शादी के लिए भी अगर एक न्यूनतम शैक्षिक योग्यता लगा दी जाए, तुम जो लड़के सरकारी स्कूल में शिक्षा को भी छोड़ देते हैं वह कम से कम साक्षर तो हो ही जाएंगे। और साक्षरता दर बढ़ जाएगी। एक शिक्षित और समर्पित शिक्षक ही अच्छा ज्ञान दे सकता है। प्राइवेट और सरकारी स्कूलों के छात्रों में जो असमानता होती है उसका कारण, शिक्षकों के अपने काम की तरफ वफादारी है। सरकार सरकारी विद्यालय में शिक्षा तो मोक्ष में प्रदान करते हैं परंतु जो शिक्षक शिक्षा दे रहा है उसमें काबिलियत की कमीज साफ झलकती है।

शिक्षा सभी शिक्षकों ने अनिवार्य- सरकार को कड़ी निर्णय लेने होंगे, सभी बच्चों को स्कूल आना अनिवार्य होगा यदि कोई किसी की शिक्षा में बाधा बनेगा तो वह दंड का भागी होगा। साक्षरता दर के बाद जब स्कूल एनरोलमेंट के आंकड़े देखें तो हैरानी होती है लड़कों के स्कूल एनरोलमेंट में सहरसा (saharsa )जहां टॉप पर है, वहीं लड़कियों के मामले में एनरोलमेंट सबसे नीचे है।

किशनगंज (kishanganj) जहां लड़कियों के स्कूल एनरोलमेंट में टॉप पर है, वहीं लड़कों के मामले में सबसे नीचे। लड़कों के स्कूल एलॉटमेंट में सहरसा, शेखपुरा ,जमुई, लखीसराय और बांका top पर है। लड़कियों के एनरोलमेंट में Bottom यानी की सबसे नीचे हैं, तो दोस्तों आप सभी को यह जानकारी कैसे लगी कमेंट बॉक्स में जरूर बताना, आपके मन में कोई भी सवाल हो तो आप जरूर पूछें और इसे शेयर करना ना भूले, इसे आप अपने सभी दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि किसी भी स्टूडेंट का हेल्प हो जाए।

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