रक्षाबंधन पर निबंध: भारत त्योहारों का देश है। एक ऐसा देश जहां विभिन्न संस्कृतियाँ, धर्म, संप्रदाय एक साथ फल-फूल रहे हैं। रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। तमाम विविधताओं के बावजूद रक्षाबंधन (rakshabandhan) एक ऐसा त्योहार है, जो धर्म, संप्रदाय और संस्कृतियों की सभी दीवारों को तोड़ कर सभी त्योहारों के बीच एक अलग ही स्थान रखता है। अपने सांस्कृतिक मूल्यों और प्रेमभाव की वजह से देशभर में रक्षाबंधन (rakshabandhan) को सभी उत्साह से मनाते हैं। शुभ मुहूर्त में रक्षाबंधन का त्योहार मनाते हुए भाई की कलाई पर राखी बाँधी जाती है।
रक्षाबंधन मंत्र – ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामभि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल। मंत्र का पाठ करते हुए बहनें रक्षा सूत्र भाई की कलाई पर बाँधती हैं।
रक्षाबंधन पर निबंध के जरिए रक्षाबंधन त्योहार के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी दी जाएगी।
रक्षा बंधन के लिए एक शुभ मुहूर्त होता है। जिसके दौरान भाई को रक्षासूत्र बाँधने पर शुभ परिणाम मिलते हैं। भद्रा अवधि को अशुभ माना जाता है। भद्राकाल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इसी कारण भद्रा के समय रक्षाबंधन नहीं बाँधा जाता है। रावण की बहन ने भद्राकाल में रावण को राखी बाँधी थी, कहते हैं इसके प्रभाव से पूरे कुल का विनाश हो गया।
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रक्षाबंधन (rakshabandhan) का एक रोचक पहलू यह है कि इस त्योहार की जानकारी बच्चों को परीक्षा में अच्छे अंक लाने में भी मददगार है। छोटी कक्षाओं की परीक्षा में कई बार रक्षाबंधन पर निबंध (essay on rakshabandhan) लेखन का प्रश्न पूछा जाता है। जो कि पेपर की दृष्टि से काफी अहम होता है। ऐसे में अक्सर कई छात्र जिन्हें निबंध लिखना नहीं आता, वे इस बात को लेकर परेशान रहते हैं कि रक्षाबंधन पर निबंध कैसे लिखें, या फिर ऐसे छात्र जिन्हें हिंदी विषय कठिन लगता है, वे भी इस दुविधा में रहते हैं कि रक्षाबंधन पर हिंदी में निबंध (rakshabandhan essay in hindi) कैसे लिखा जाए? कई बार छात्रों को अभिभावक या शिक्षक हिंदी में रक्षाबंधन पर निबंध या राखी पर निबंध (essay on rakhi) लिखने के लिए भी कह देते हैं। छात्रों को इस त्योहार का महत्व बताने का भी काम करेगा। हिंदी में लिखा गया यहा रक्षाबंधन निबंध (essay on raksha bandhan in hindi) छात्रों के लिए मददगार होगा ऐसी आशा करते हैं।
इसी लिए हम आपके लिए यह हिंदी रक्षाबंधन निबंध लेकर आए हैं। इस हिंदी रक्षाबंधन पर निबंध से आपकी उपर्युक्त सारी परेशानियाँ खत्म हो जाएंगी। निबंध से न सिर्फ आपको रक्षाबंधन पर निबंध लिखने में सहायता मिलेगी, बल्कि आप इस निबंध का विश्लेषण कर निबंध लिखने का तरीका भी समझ सकते हैं। इसके अलावा इस लेख से रक्षाबंधन पर निबंध लेखन का कौशल बेहतर होगा और रक्षाबंधन (rakshabandhan) के पर्व को लेकर आपकी समझ भी बढ़ेगी, ऐसी हम उम्मीद करते हैं। हम चाहेंगे कि आप इस रक्षाबंधन पर निबंध की पूरी नकल करने के बजाय, इस निबंध से लिखने की प्रेरणा भर लें और स्वयं रक्षाबंधन पर निबंध लिखने की कोशिश करें। लेख शुरू करने से पहले आपको बता दें कि रक्षाबंधन 2023 में 30 अगस्त, 2023 को मनाया जाएगा।
रक्षाबंधन पर 10 पंक्तियां याद रखे (Remember 10 Lines on Raksha Bandhan Festival)
1. रक्षाबंधन हिन्दुओं का एक पवित्र एवं प्रमुख त्योहार है।
2. श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन मनाया जाता है।
3. यह त्योहार हर साल अगस्त के महीने में पड़ता है।
4. रक्षाबंधन भाई-बहन के बीच प्यार और अटूट रिश्ते का प्रतिक है।
5. इस दिन सभी बहनें अपने भाइयों को रक्षा सूत्र (राखी) बांधती है।
6. राखी बांधने के साथ ही बहनें अपने भाइयों की कुशलता की कामना करती है।
7. भाई जीवन भर अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन देता है।
8. रक्षाबंधन पर विभिन्न प्रकार के पकवान और मिठाइयां खाने को मिलती है।
9. इस दिन राखियों और मिठाईयों की दुकानें लोगों की भीड़ से भरे होते है।
10. सभी धर्मों के लोग इसे बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मानते हैं।
रक्षाबंधन पर निबंध : रक्षाबंधन
भारत को दुनिया भर में त्योहारों का देश माना जाता है। इसकी एक खास वजह भी है। दरअसल यहाँ साल भर किसी न किसी त्योहार को लेकर हलचल हो ही रही होती है। यह सरगर्मी और बाजार व देश में होने वाली हलचल पूरी तरह से त्योहारों के महत्व पर निर्भर करती है। सीधे शब्दों में समझें तो त्योहार जितना बड़ा यानि महत्वपूर्ण होगा, देशभर में उसे लेकर उतनी ही ज्यादा हलचल देखने को मिलेगी। इनमें से ही एक महत्वपूर्ण त्योहार है रक्षाबंधन का यानि कि राखी का। रक्षाबंधन वैसे तो पूरे भारत में ही धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन उत्तर भारत के लोग इसे विशेष तौर पर मनाते हैं। इस दिन बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके लंबी उम्र की कामना करती हैं। इसके बदले में भाई उन्हें कोई तोहफा देने के साथ-साथ मन ही मन एक वचन भी देते हैं कि वह जीवन भर सुख-दुख व मुश्किलों में उनका साथ देंगे।
इसके अलावा इस दिन देश के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को कई छोटी बच्चियाँ राखी बांधती हैं। अब तो कई जगह पर इस दिन पर्यावरण प्रेमियों द्वारा पेड़ों को भी राखी बांधने की परंपरा शुरू कर दी गई है। वैसे सही मायनों में देखा जाए, तो रक्षाबंधन असल में दो शब्दों के मेल से बना है, रक्षा और बंधन। रक्षा जिसका शाब्दिक अर्थ है सुरक्षा और बंधन यानि कि बांधना। ऐसे में इस शब्द का मतलब ही यह है कि ऐसा धागा जो सुरक्षा की कामना के साथ बांधा गया हो।
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रक्षाबंधन का यह त्योहार कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है। चूंकि यह प्रत्येक वर्ष हिंदू कैलेंडर के अनुसार सावन महीने के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है इसलिए कई जगह पर इसे राखी पूर्णिमा भी कहा जाता है। महाराष्ट्र में इसे श्रावणी या फिर नारियल पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र व उड़ीसा के ब्राह्मणों के बीच यह पर्व अवनि अवित्तम के नाम से भी प्रसिद्ध है। वहीं कुछ इलाकों में इसका एक और नया नाम उपक्रमण भी है। कई जगहों पर इसे श्रावण पूजन के तौर पर भी मनाया जाता है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान श्रीराम के पिता राजा दशरथ के हाथों गलती से श्रवण कुमार की हत्या हो गई थी, जिसके बाद राजा दशरथ ने पश्चाताप करने के लिए इस दिन को श्रावणी पूर्णिमा के तौर पर मनाने की परंपरा शुरू की। मगर रक्षाबंधन के त्योहार के पीछे महज एक नहीं, बल्कि कई लोकप्रिय कथा प्रचलित हैं।
एक कथा के अनुसार द्रौपदी ने भगवान कृष्ण के हाथ पर चोट लगने पर, अपने साड़ी का एक हिस्सा फाड़कर उनके हाथों पर बांध दिया था, जिसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को उसकी रक्षा का वचन दिया था। ऐसे में जब द्रौपदी चीरहरण किया जा रहा था, तब भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा कर, अपना वचन पूरा किया। एक अन्य लोकप्रिय कहानी यह है कि इस दिन चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने मुग़ल सम्राट हुमायूँ को रक्षाबंधन भिजवाया था, जिसके बाद हुमायूँ ने अपने भाई होने का कर्तव्य निभाते हुए गुजरात के सम्राट से चित्तौड़ की रक्षा में रानी कर्णावती की मदद की थी। हालांकि रक्षाबंधन के बारे में कहा जाता है कि यह प्रमुख तौर पर हिंदुओं का त्योहार है, लेकिन इस त्योहार की उत्पत्ति की एक कहानी जैन धर्म से भी जुड़ी है जिसके अनुसार बिष्णुकुमार नामक मुनिराज ने इस दिन 700 जैन मुनियों की रक्षा की थी जिसके बाद से ही रक्षाबंधन मनाने का सिलसिला शुरू हुआ।
जैन धर्म से जुड़ी रक्षाबंधन की कहानी को अगर छोड़ दें, तो रक्षाबंधन की इन कहानियों में भले ही हमें तमाम तरह की विविधता देखने को मिलती है, लेकिन एक चीज जो समान रूप से सभी कहानियों में मौजूद है, वह है भाइयों का अपनी बहनों की रक्षा हेतु वादा और समय आने पर उस वादे पर अटल रहने की इच्छाशक्ति। भाइयों की ये इच्छाशक्ति और बहनों का प्रेम ही इस पर्व को और भी विशेष व पवित्र बना देता है। यह पर्व न सिर्फ भाई और बहनों के बीच मौजूद प्रेम को और भी गहरा करता है, बल्कि जीवन भर उनके साथ इसकी यादें भी जुड़ी रहती हैं, जिसकी वजह से उन्हें कभी भी अकेलेपन का एहसास नहीं होता है।
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इस दिन कई जगहों पर मेले लगते हैं। बाज़ारों में इस दिन की रौनक देखते ही बनती है। मगर आज के दौर में एक कड़वा सच यह भी है कि रक्षाबंधन एक पर्व से ज्यादा दिखावटी संस्कृति हो चला है, जहां कलाई पर बांधी जाने वाली रक्षा सूत की जगह फ़ैन्सी राखियों ने ले ली है और बहनों को किए जाने वाले वादे की जगह आकर्षक तोहफों और सोशल मीडिया पर हँसती-मुसकुराती तस्वीरों ने ले ली है। भाई और बहन के इस पवित्र पर्व पर व्यापारीकरण हावी हो चला है। बाजार में और टीवी पर इस दौरान दुनिया भर के लुभावने उत्पादों का विज्ञापन चलाकर इस पर्व को इस तरह से पेश किया जाता है कि यदि आपने ये उपहार इस रक्षाबंधन अपनी बहन या भाई को न दिया, तो फिर इस त्योहार का महत्व ही नहीं रह जाएगा।
जबकि इस पर्व का संदेश और सार इनसब चीजों से अलग, भाई और बहन के रिश्ते को और भी मजबूत करने से जुड़ा है। यह प्रेम का पर्व है, पवित्रता का पर्व है, जहां महंगे कपड़ों, उपहार, फ़ैन्सी राखियों से ज्यादा एक बहन का अपने भाई की कलाई पर धागा बांधना और भाई का इसके बदले अपनी बहन को उसकी मुश्किलों से दूर रखने के वादे का महत्व है। रक्षाबंधन साल में एक बार आता है, लेकिन भाई-बहनों का संबंध जीवन भर के लिए रहता है। मुमकिन है कि समय बीतने के साथ एक वक्त ऐसा भी आए जब भाई-बहन साथ न रहें, मगर उन दोनों के बीच चाहे कितनी भी दूरी हो जाए, वो हमेशा भावनाओं की एक डोर से जुड़े रहते हैं। यही भावनाओं की डोर रक्षाबंधन के दिन मन से निकल कर भाइयों की कलाई पर सजती है। यह पर्व एक तरह से उन भाई और बहनों के लिए भी साल भर में एक बार मिलने का बहाना भी बन जाता है, जिनके बहनों की शादी हो गई है या फिर किसी भी वजह से उन दोनों को दूर-दूर रहना पड़ता है। निश्चित ही रक्षाबंधन का पर्व भाई और बहनों के लिए महापर्व से कम नहीं।
Frequently Asked Question (FAQs) – रक्षाबंधन पर निबंध
Q. रक्षाबंधन का इतिहास क्या है?
Ans: रक्षाबंधन को लेकर कई कहानियाँ मौजूद हैं। उनमें से ऐतिहासिक तौर पर एक लोकप्रिय कथा यह है कि चित्तौड़ की महारानी कर्णवती ने मुग़ल सम्राट हुमायूँ को राखी भेज कर उनसे बहादुर शाह के हमले से सुरक्षा के लिए मदद मांगी थी, रक्षाबंधन के फ़र्ज को निभाने के लिए हुमायूँ ने चित्तौड़ की रक्षा के लिए सैन्य मदद भेजी।
Q. रक्षाबंधन का त्योहार क्यों मनाते हैं?
Ans. रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। बचपन के इस चुलबुले, इस संबंध को प्रगाढ़ बनाने और एक-दूसरे के लिए संकट की हर घड़ी में साथ रहने के वादे को सशक्त बनाने के लिए रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। रक्षाबंधन का त्योहार रिश्तों को मजबूत बनाने और दो परिवारों को घनिष्ठता के सूत्र में बाँधने का काम करता है। रक्षाबंधन को लेकर कई प्रचलित कहानियाँ मौजूद हैं जोकि इस लेख में दी गई हैं। हालांकि इसे हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है, लेकिन इस पर्व के शुरुआत की एक कहानी जैन धर्म में भी सुनने को मिलती है।
Q. रक्षाबंधन का महत्व क्या है?
Ans: रक्षाबंधन का पर्व प्रेम और पवित्रता का पर्व है। यह पर्व भाई और बहनों के लिए एक दूसरे की लंबी उम्र और सुखद जीवन की कामना करने का दिन होता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके लंबी उम्र की कामना करती हैं।
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