बोर्ड परीक्षा में आंसर कैसे लिखें |
एग्जाम में लिखना भी एक कला है जो हर बच्चा नहीं कर सकता, भले ही वो बच्चा जनरली बहुत इंटेलीजेंट हो सकता है, उसे बहुत नॉलेज हो सकती है लेकिन अगर वो अपने आंसर को ठीक से प्रेजेंट नहीं कर पाता तो उसे कम नंबर ही मिलेंगे, आंसर कैसे लिखना है इसके कुछ टिप्स हैं जिससे आप ज़रूर अच्छे मार्क्स गेन कर पाएंगे:
1. शुरुआत के 15 मिनट का सही उपयोग
ऑलमोस्ट हर स्कूल बोर्ड में यह कांसेप्ट है कि बच्चो को पेपर शुरू होने से पहले, 15 मिनट का एक्स्ट्रा टाइम दिया जायेगा जिसमें स्टूडेंट्स को क्वेश्चन पेपर को पढ़ने और समझने का मौका मिल जाता है। यह 15 मिनट आपके आगे के 3 घंटो को किस तरीके से यूटिलाइज करना है वो सोचने का भी मौका देंगे। इसलिए आपको इस टाइम पीरियड को बहुत समझदारी से यूज़ करना है। आपको इन 15 मिनट में यह प्लान कर लेना है कि आपको कौन सा क्वेश्चन पहले करना है, किस क्वेश्चन में क्या लिखना है, किस सेक्शन को पहले एटेम्पट करना है यह सब की एक क्लियर पिक्चर बन जानी चाहिए जिससे आपको आगे यह सब सोचने में टाइम बर्बाद न करना पड़े।
2. प्रायोरिटी सेट करना
आप एक्स्ट्रा 15 मिनट में पूरा पेपर अच्छे से पढ़ चुके हैं, आपको यह भी पता चल चूका है कि आपको कितना पेपर आता है कितना नहीं, कौन से सवाल मुश्किल है, किसमे ज्यादा टाइम लगेगा, किसमे ज़्यादा मार्क्स स्कोर करने का स्कोप है। तो अब आपको यह डिसाइड करना है कि आपको किस क्वेश्चन में पूरा कॉन्फिडेंस है जो आपको लगता है कि इसमें तो पूरे पूरे मार्क्स मिल सकते हैं। तो ऐसे क्वेश्चंस की लिस्ट बना लीजिये और वन बाय वन उन्हीं क्वेश्चंस को पहले पूरा कीजिये। एग्जाम में आपका जो भी चेकर होता है उसको अपने पेपर से इम्प्रेस करना होता है इसलिए आप सबसे पहले बिलकुल श्योरिटी वाले आंसर्स लिखिए जिससे आपके चेकर के माइंड में यह इमेज बन जाये कि लिखने वाला एक इंटेलीजेंट स्टूडेंट है और चेकर्स उसी हिसाब से आपको मार्क्स देते है। जो क्वेश्चंस आपको सबसे कम आते हैं या आते ही नहीं हैं उन्हें सबसे लास्ट में लिखिए |
3. लिमिटेड और रिलेवेंट आंसर्स
हर क्वेश्चन को ध्यान से पढ़िए और उसके मार्किंग स्कीम को साथ समझिये क्वेश्चन पेपर के सबसे पहले पेज पे आपको आंसर करने का तरीका बताया गया है कि आपको कौन से सेक्शन में शार्ट आंसर्स लिखने है, किन में सिर्फ एक वर्ड और किन में पूरा डिस्क्रिप्शन के साथ लिखना है। आपको साथ ही साथ आंसर की वर्ड लिमिट भी दिख जाएगी कि इस सेक्शन के सभी आंसर्स आपको इतने वर्ड्स के अंदर अंदर ही लिखने हैं, तो ज़रूरी नहीं होता कि आपको हर आंसर को कहानी की तरह बहुत सारे पैराग्राफ्स में लिखना होता है, जितना आपको उस क्वेश्चन में पूछा गया है आपको सिर्फ उतना ही बताना है। आपको यह समझना पड़ेगा कि कम लिखने के आपके मार्क्स ज़रूर कटते हैं लेकिन ज़्यादा लिखने के कोई एक्स्ट्रा मार्क्स नहीं मिलते। इसलिए पॉइंट टू पॉइंट आंसर दीजिये, चेकर को कहानी पढ़ना अच्छा नहीं लगता उसे बस सही आंसर चाहिए और वो आपको नंबर दे देगा। ऐसा करने से आपको सही मार्क्स मिलेंगे और आपका टाइम भी बचेगा इसलिए यह एक बहुत इम्पोर्टेन्ट चीज़ है।
4. क्वेश्चन को समझदारी से समझना
आपने देखा होगा कि कुछ क्वेश्चन ऐसे होते हैं जिनमे आपको चॉइस दी होती है। एक क्वेश्चन लिखा होता है, उसके बाद “OR / या” लिखा होता है जिसका मतलब होता है कि आपको दो क्वेश्चन में से किसी एक क्वेश्चन का आंसर देना है। बच्चो के लिए यह बहुत बड़ी ख़ुशी और अपॉर्चुनिटी होती है कि उन्हें एक चॉइस मिली है, अब ऐसे में आपको एक चीज़ का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है कि आपको कौन सा क्वेश्चन ज़्यादा अच्छे से आता है, क्योंकि मोस्टली ऐसा होता है कि हम एक क्वेश्चन चूज़ करके आंसर लिखना शुरू कर देते हैं और फिर बीच में लगता है कि अब तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा कि आगे क्या लिखना है। फिर हम सोचते हैं कि गलती कर दी दूसरे वाला आंसर लिखना चाहिए था, अब उसमे एक तो आपका टाइम वेस्ट हुआ और आपको अब पहले वाला क्वेश्चन भी काटना पड़ेगा जो आपकी शीट कि प्रेजेंटेशन को काफी ख़राब कर देगा। इसलिए आप जिस टाइम यह चूज़ कर रहे होते हैं कि कौन सा आंसर लिखना है तभी उसके बारे में अच्छे से सोच लेना चाहिए और अपने माइंड में पॉइंट्स याद कर लो कि आप इसमें क्या क्या लिख सकते हो, जिस आंसर में लिखने के लिए आपके पास ज़्यादा कंटेंट है उसी क्वेश्चन को चूज़ करो ।
5. सारे क्वेश्चंस एटेम्पट करें
देखिये आपको सब लोग कहते होंगे आपके टीचर्स भी और आपके पेरेंट्स भी कि पूरा पेपर करना कुछ छोड़ के मत आना, और आप मन में सोचते होंगे कि जो आता ही नहीं होगा वो कैसे लिख आऊं। आपको पता ही है कि बोर्ड एग्ज़ाम में कोई भी नेगेटिव मार्किंग नहीं होती, तो इसलिए आपके गलत आंसर कोई नंबर नहीं कटने वाले इसलिए जब लास्ट में वो क्वश्चन बच जाते हैं जो आपको ज़्यादा अच्छे से नहीं आते या फिर कम आते हैं तो आप उनमे कुछ भी लिख दीजिये जो आपको लगता हो कि क्वेश्चन से 1% भी रिलेट करता है, गलत हुआ तो गलत सही लेकिन अगर सही हुआ तो आपको वो नंबर मिल जायेंगे जो आपने सोचे भी नहीं होगें। बहुत बार ऐसा होता है कि तुक्के से किसी क्वेश्चन के मार्क्स मिले। क्वेश्चन को छोड़ के आने का कोई तुक नहीं है क्योंकि न आप चेकर को जानते हो न वो आपको जानता है, अगर आपने कुछ गलत लिखा होगा तो वो ज़्यादा से ज़्यादा हसेगा ही, कोई फर्क नहीं पड़ता। हर क्वेश्चन का आंसर लिख के आइये क्या पता किस आंसर के नंबर मिल जाएं।
6. आंसर शीट को सजाइये नहीं
कई स्टूडेंट्स को आदत होती है कि वे पेपर को बहुत ज्यादा सजा देते हैं, साइड में डिजाईन बना देते हैं या पूरे पेपर को रंग बिरंगा कर देते है, हो सकता है कि आप ऐसा न करते हो, लेकिन आपका कोई न कोई दोस्त ऐसा ज़रूर होगा जो ऐसा करता होगा। कुछ बच्चे पेपर में लाल, पीले, नीले अलग-अलग कलर्स के पेंस, हाइलाइटर्स, और कलर्स का यूज़ करते हैं, मैं आपको बता दूं कि यह सब करने से आपको कोई एक्स्ट्रा नंबर नहीं मिलने वाले, आप पेपर को जितना सिंपल रखेंगे उतनी आसानी से एग्ज़ाम चेकर उसे पढ़ पायेगा। आपको पेपर में ब्लू और ब्लैक इन दो पेन के अलावा किसी पेन का यूज़ नहीं करना है। अगर आपको डायग्राम्स बनाने हैं तो उन्हें पेंसिल से बनाइये ताकि अगर आपको ज़रूरत पढ़ती है तो आप उसे मिटा के दोबारा ठीक कर सके। आप जितना अपने पेपर को सिंपल रखेंगे उतना ज्यादा आपको लिखने का टाइम मिलेगा।
7. वर्ड्स के बीच में प्रॉपर स्पेस ज़रूर दें
आप जब एग्ज़ाम में लिखते हैं तो शुरुआत में आप बहुत सुन्दर- सुन्दर लिखना शुरू करते हैं और जब आप आगे बढते जाते हैं। तो टाइम भी निकलता जाता है फिर आपको जल्दी-जल्दी लिखना पड़ता है जिससे आपकी हैंडराइटिंग ख़राब हो जाती है। पहली बात, हैंडराइटिंग के कोई एक्स्ट्रा मार्क्स नहीं मिलते बस आप जो भी लिखते हो वो ऐसा होना चाहिए कि चेक करने वाले को समझ आ सके। दूसरी चीज़, हर वर्ड के बीच में प्रॉपर स्पेस देना बहुत ज़रूरी है अगर आप सबको साथ साथ मिला के लिखेंगे तो चेकर को वो समझ नहीं आएगा, और पॉसिबल है कि वो आपको बहुत कम नंबर दे। इसलिए इस चीज़ कि प्रैक्टिस आप एग्जाम के एक महीने पहले से ही स्टार्ट कर दें, आप लिख लिख के प्रैक्टिस करेंगे तो आपको याद भी अच्छे से हो जायेगा और एग्ज़ाम में लिखने की भी प्रैक्टिस हो जाएगी।
8. पैनिक न करें
ज़रूरी नहीं होता कि आपको हर सवाल का जवाब पता ही हो, इस दुनिया में कोई ऐसा इंसान नहीं है जिसे सब कुछ पता हो इसलिए आपको कोई ऐसा क्वेश्चन देख के जो आपको नहीं आता या फिर आपने उससे रिलेटेड कभी कुछ पढ़ा ही न हो तब भी, उसे देख कर घबराना नहीं है। अगर आपको कोई क्वेश्चन नहीं भी आता है तो उसे लास्ट के लिए बचा के रखो, कई बार ऐसा होता है कि आप ऐसे क्वेश्चन को देख के स्ट्रेस में आ जाते हो और उसके चक्कर में आप बाकि क्वेश्चन का भी फोकस खो देते हो, इसलिए जो नहीं आता उसे छोडो, मान लो उसके बारे में आपको बिलकुल भी आईडिया नहीं है तो छोड़ दो 2-3 – 4 मार्क्स ही तो कट जायेंगे ज़्यादा से ज़्यादा लेकिन आप उसकी वजह से अपना बाकि पेपर ख़राब मत करो।
9. आंसर शीट चेक करना
बच्चो को ज़्यादातर अपना पेपर एग्जामिनर के हाथ में दे कर बाहर निकलने की बहुत जल्दी होती है और जब आप बाहर निकल जाते हो तो आपको याद आता है कि अरे ये छूट गया वो छूट गया तो उससे बचने का एक ही तरीका है कि आंसर शीट हैंडओवर करने से पहले आप कम से कम उसे दो बार चेक कर लीजिये। उससे आपको आपकी जो भी छोटी-छोटी सिली मिस्टेक्स होंगी वो सभी पता चल जाएँगी और आप उनको करेक्ट करके अपने मार्क्स बचा सकते हैं, कई बार आपको चेक करते हुए पता चलता है कि आपने कोई क्वेश्चन छोड़ दिया है या फिर आपने कोई आंसर आधा छोड़ दिया है जो आपने सोचा था कि लास्ट में पूरा करेंगे और बाकि के चक्कर में आप उन्हें भूल गए। तो अब आपको चांस मिल जायेगा कि आप उसको पूरा कर सकें। बोर्ड के पेपर में एक बहुत इम्पोर्टेन्ट चीज़ है डिटेल्स फिल करना तो इसलिए आपको यह भी टेली कर लेना है कि आपने अपने आंसर शीट पे रोल नंबर ज़रूर लिख लिया हो।
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